ब्रह्मचारिणी माता कथा और पूजा विधि। Brahmacharini Mata Katha Or Pooja Vidhi

नमस्कार भक्तों इस लेख के माध्यम से आज हम आप सभी के सामने ब्रह्मचारिणी माता कथा और पूजा विधि। Brahmacharini Mata Katha Or pooja Vidhi PDF In Hindi प्रस्तुत कर रहे हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा पूरे विधि – विधान से की जाती है।नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तपस्या का वरदान मिलता है।

ब्रह्मचारिणी माता हमेशा तपस्या में लीन रहती है। माता दुर्गा के तपस्वी रूप को माता ब्रह्मचारिणी का रूप माना जाता है। यहां ब्रह्म का अर्थ है तपस्या। माता दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से भक्तों के जीवन में तप त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।

ब्रह्मचारिणी माता कथा और पूजा विधि। Brahmacharini Mata Katha Or pooja Vidhi PDF In Hindi

शास्त्रों के अनुसार देवी ने हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था और भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने घोर तपस्या की थी। इतनी कठिन तपस्या करने के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। माता ब्रह्मचारिणी ने तपस्या के दौरान केवल 1000 वर्षों तक भोजन ग्रहण किया और 100 वर्षों तक जमीन पर गिरते हुए शाक पर निर्भय हो गईं।

माता ने कठिन व्रत व्रत और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहती हुई। माता ने 3000 साल तक सिर्फ बेलपत्र ग्रहण किया और भगवान शंकर का ध्यान करती रही। 3000 साल तक तपस्या करने के बाद देवी ने बेलपत्र खाना भी छोड़ दिया और कई हजार साल तक निर्जल और निराहार होकर घर तपस्या करती रही। देवी ब्रह्मचारिणी ने पत्ते को भी खाना छोड़ दिया था इसलिए उनका नाम अपर्णा पड़ गया।

जब माता ब्रह्मचारिणी ने इतना तपस्या करी तो उनका शरीर क्षीण गया था तब सभी देवता, ऋषि मुनि ने देवी ब्रह्मचारिणी की तपस्या को एक पुण्य कार्य बताया और उनकी तपस्या की मान्यता की। सभी दुनिया ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि देवी आपका मनोकामना पूर्ण होगा और भगवान चंद्रमौलेश्वर आपके पति के रूप में आएंगे।

जब माता ब्रह्मचारिणी ने इतना तपस्या करी तो उनका शरीर क्षीण गया था तब सभी देवता, ऋषि मुनि ने देवी ब्रह्मचारिणी की तपस्या को एक पुण्य कार्य बताया और उनकी तपस्या की मान्यता की। सभी दुनिया ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि देवी आपका मनोकामना पूर्ण होगा और भगवान चंद्रमौलेश्वर आपके पति के रूप में आएंगे।

माता ब्रह्मचारिणी व्रत कथा PDF / Mata Brahmacharini Vrat katha PDF-2

ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाला। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाहिने हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमंडल धारण किए हैं। पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।

इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हज़ार साल तक वे केवल फल-फूल खाते हैं और सौ साल तक केवल गिरते शाक पर निर्लिप्त होते हैं। कुछ दिनों तक कठिन उपवासी द्वार और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार साल तक बंधे बिल्व पत्र लेते और भगवान शंकर की आराधना करते हैं। इसके बाद उन्होंने बिल्व पत्र दिया और खाना भी छोड़ दिया। कई हज़ार साल तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहती है।

पत्ते को खाना छोड़ने के कारण ही उनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को विशेष पुण्य कार्य बताया, आराधना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम से ही संभव था। तुम्हारा मनोकामना पूर्ण होगा और भगवान चंद्रमौलि शिवजी पति के रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाएं। जल्द ही तुम्हारे पिता बुलाने आ रहे हैं।

माता ब्रह्मचारिणी पूजा विधि । Mata Brahmacharini pooja vidhi

  • इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहने।
  • इसके बाद आसन ग्रहण कर ले।
  •  माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करें।
  •  माता ब्रह्मचारिणी को फूल, रोली, चंदन और सामग्री अर्पित करें।
  •  माता को दूध दही और शहद से स्नान कराएं।
  •  माता ब्रह्मचारिणी को पिस्ते की मिठाई का भोग लगाएं।
  •  माता को पान, सुपारी, और लॉन्ग अर्पित करें।
  • माता ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।

माता ब्रहाम्चारिणी मंत्र 

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 

दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

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